बे मौसम बरसात बहुत है। कर्जे की सौगात बहुत है। बे मौसम बरसात बहुत है। कर्जे की सौगात बहुत है।
मिसरी बनकर वही घुली है खारी सी तकरारों में, भरती अपनेपन की मिट्टी उभरी हुई दरारों में । मिसरी बनकर वही घुली है खारी सी तकरारों में, भरती अपनेपन की मिट्टी उभरी हुई दर...
कथनी करनी में भेद से जो जो भी डर रहा है, आँखें फाड़कर देख लीजिए हर ओर धक्के ही खा रहा कथनी करनी में भेद से जो जो भी डर रहा है, आँखें फाड़कर देख लीजिए हर ओर धक...
सरिता सम चल, कल कल अविरल निश्चित, ऊर्जित अंतर्मन सरिता सम चल, कल कल अविरल निश्चित, ऊर्जित अंतर्मन
हिंदी की सुगंध बड़ी निराली है, मीठी , स्नेहिल और मतवाली है। हिंदी की सुगंध बड़ी निराली है, मीठी , स्नेहिल और मतवाली है।
क्या-क्या गिनाऊं दीदी दिल से नमन करती हूं। क्या-क्या गिनाऊं दीदी दिल से नमन करती हूं।